FACTS ABOUT HANUMAN CHALISA REVEALED

Facts About hanuman chalisa Revealed

Facts About hanuman chalisa Revealed

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[Saba=all; sukha=joy, pleasures; Lahai=continue to be; tumhari=as part of your; sarana=refuge; tuma=you; rakshaka=protector; kahoo ko=why? or of whom; darana=be afraid]

lāyaLāyaBrought sanjīvaniSanjīvaniA existence LakhanaLakhanaLakshman, brother of Lord Rama jiyāeJiyāeSaved / revived

जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥१॥ राम दूत अतुलित बल धामा ।

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लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥१८॥ प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।

व्याख्या — श्री हनुमन्तलाल जी समग्र विद्याओं में निष्णात हैं और समस्त गुणों को धारण करने से ‘सकल–गुण–निधान’ हैं। वे श्री राम के कार्य सम्पादन हेतु अत्यन्त आतुरता (तत्परता, व्याकुलता) का भाव रखने वाले हैं। क्योंकि ‘राम काज लगि तव अवतारा’ यही उद्घोषित करता है कि श्री हनुमान जी के जन्म का मूल हेतु मात्र भगवान् श्री राम के हित कार्यों का सम्पादन ही है।

पवनदीप राजन द्वारा गाया हनुमान चालीसा

◉ श्री राम नवमी, विजय दशमी, सुंदरकांड, रामचरितमानस कथा, हनुमान जन्मोत्सव, मंगलवार व्रत, शनिवार पूजा, बूढ़े मंगलवार और अखंड रामायण के पाठ में प्रमुखता से गाये जाने वाला चालीसा है.

[21] 1 interpretation of "Hanuman" is "one particular using a disfigured jaw". This Edition is supported by a Puranic legend whereby toddler Hanuman errors the Sunshine for a fruit, heroically makes an attempt to reach it, which is wounded while in the jaw for his try by Indra the King of Gods.[21]

A while immediately after this event, Hanuman commences utilizing his supernatural powers on innocent bystanders as straightforward pranks, read more until eventually one day he pranks a meditating sage.

Hanuman Chalisa was composed by Tulsidas, a 16th-century poet-saint who was also a philosopher and reformer. Tulsidas is usually renowned since the composer of Ramcharitmanas for his devotion to Shri Rama.

व्याख्या – श्री शंकर जी के साक्षी होने का तात्पर्य यह है कि भगवान श्री सदाशिव की प्रेरणा से ही श्री तुलसीदास जी ने श्री हनुमान चालीसा की रचना की। अतः इसे भगवान शंकर का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त है। इसलिये यह श्री हनुमान जी की सिद्ध स्तुति है।

व्याख्या – भजन का मुख्य तात्पर्य यहाँ सेवा से है। सेवा दो प्रकार की होती है, पहली सकाम, दूसरी निष्काम। प्रभु को प्राप्त करने के लिये निष्काम और निःस्वार्थ सेवा की आवश्यकता है जैसा कि श्री हनुमान जी करते चले आ रहे हैं। अतः श्री राम की हनुमान जी जैसी सेवा से यहाँ संकेत है।

भावार्थ – अनन्त काल से आप भगवान श्री राम के दास हैं। अत: रामनाम-रूपी रसायन (भवरोग की अमोघ औषधि) सदा आपके पास रहती है।

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